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बुधवार, 11 जनवरी 2012
७-८ जनवरी २०१२ को महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक शहर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय संगोष्ठी 'भावरूप राम' विषय पर सम्पन्न हुई। संगोष्ठी का उदघाटन कैलाश मठाधिपति तथा महामंडलेश्वर स्वामी संवितानंद सरस्वती महाराज एवं प्रख्यात उपन्यासकार डॉ. नरेन्द्र कोहली ने किया। दो दिनों में ६ चर्चा सत्रों में १० प्रान्तों से पधारें ४८ विद्वानों ने संगोष्ठी में सहभागिता करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये। संगोष्ठी का समापन परिषद् के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.यतीन्द्र तिवारी के उदबोधन से हुआ।
म-प्र- साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ- त्रिभुवननाथ शुक्ल, पूर्व निदेशक डॉ.देवेन्द्र दीपक, निराला सृजन पीठ के निदेशक श्री दिवाकर वर्मा, आंध्र से डॉ.शेशारत्नम, उड़ीसा से डॉ.विजय महंती, उत्तर प्रदेश से डॉ.रामस्वरूप खरे, डॉ.रविन्द्र शुक्ल, गुजरात से डॉ.रानू मुखर्जी तथा श्रीमती क्रांति, बिहार से डॉ.रविन्द्र शहाबादी, राजस्थान से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.कृष्णचंद्र गोस्वामी तथा डॉ.मठुरेश्नंदन कुलश्रेष्ठ की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
इस अवसर पर साहित्य परिक्रमा का विशेषांक भी प्रकाशित किया गया। इस विशेषांक में १२ भाषाओँ तथा १० बोलियों के ८४ विद्वानों के आलेख समाहित हैं.
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आदरणीय संपादक जी ,
जवाब देंहटाएंअखिल भारतीय साहित्य परिषद् का कार्यक्रम बहुत ही उलेखनीय रहा | कार्यक्रम में सभी वक्ता बहुत उच्च कोटि के थे , जिनसे हमें बहुत अच्छा मार्गदर्शन मिला और जो विषय था भावरूप में राम , उसके विषय में हमें विस्तृत रूप से जानकारी मिली, खासकर वक्ता के रूप में श्री नरेंदर कोहली जी , और डॉ रामावतार शर्मा जी ने जो राम गमन के बारे में जो विस्तार से बताया वो हमारे लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक रहा, में अपनी और से और इन्द्रप्रस्थ साहित्य परिषद् दिल्ली ( पंजी.) की और से आपको और श्रीधर जी को साधुवाद देता हु,
मनोज शर्मा , महामंत्री , इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती (पंजी.) दिल्ली प्रान्त
aap sabke saktiya sahayog ke karan hi karyakram safal ho saka.
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