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सोमवार, 23 नवंबर 2009







संपादक संगोष्ठी देहली में संपन्न हुई। ८ भाषाओँ की ४८ साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक गोष्ठी में सहभागी हुए।
कार्यक्रम के चित्र देखें.

रविवार, 30 अगस्त 2009

संपादक संगोष्ठी

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् दिनांक १२-१३ सितम्बर २००९ को दिल्ली में साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों संगोष्ठी आयोजित करने जा रही है। कार्यक्रम स्थल उदासीन आश्रम पहाड़गंज दिल्ली है। राष्ट्रवादी साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक इस संगोष्ठी में सहभागी हो सकते है। अपने आने की सूचना देने का कष्ट करें.
१२ सितम्बर के विषय १ वैचारिक स्वराज्य २ अखिल भारतीय दृष्टिकोण के विकास में साहित्यिक पत्रिकाओं की भूमिका ३ पाठकीय अभिरुचि का परिष्कार
१३ सितम्बर के विषय १ हमारा रचना समय और हमारी आकान्षाएं २ भारतीय भाषाओँ को चुनौती और साहित्यिक पत्रिकाएं.

शुक्रवार, 12 जून 2009

नाटक विषय पर राष्ट्रीय संघोष्ठी सम्पन्न

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा नाटक विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संघोष्ठी २९ एवं ३० मार्च २००९ को मध्य प्रदेश के नगर ग्वालियर में सम्पन्न हुई। संघोष्ठी में ९ भाषओं के ११९ साहित्यकार सम्मिलित हुए। संघोष्ठी का उदघाटन मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने किया। मुख्या वक्ता थे परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री श्रीधर पराड़कर। संघोष्ठी का समापन कालिदास अकादमी के निदेशक पंडित मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी ने किया और अध्यक्षता राजमाता विजयाराजे संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति श्री ज्योतिषी उस की। संघोष्ठी में ५२ शोध आलेख पढ़े गए। शोध आलेखों का प्रकाशन परिषद् की ग्वालियर की पत्रिका इंगित के विशेषांक के रूप में किया गया.

बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

साहित्य परिक्रमा के सदस्य बनें

साहित्य परिषद् की त्रिमासिक पत्रिका साहित्य परिक्रमा के सदस्य बनकर परिषद् से जुडें। पत्रिका का आजीवन शुल्क ५०० रूपये और दो साल का १०० रुपये है । शुल्क भेजने का पता है - राष्ट्र उत्थान भवन, माधव महाविद्यालय के सामने, नई सड़क, ग्वालियर ४७४००१ मध्य प्रदेश ।

परिषद् परिचय प्राप्त करें

गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

साहित्य परिक्रमा

साहित्य परिक्रमा के अंक शीघ्र ही ब्लॉग में देख सकेंगे.

नैशनल वर्किंग कमिटी नवम्बर, 2008

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक २९ तथा ३० नवम्बर २००८ को हिमाचल प्रदेश के नगर कुल्लू में सम्पन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि तीन कार्यक्रम लिए जायें:
१- एतिहासिक उपन्यासों का सामाजिक योगदान,
२- भारतीय नाटक का वर्त्तमान परिदृश्य,
३- साहित्य पत्रिकाओं के संपादकों का सम्मलेन।
कार्यक्रमों की तिथि स्थानीय लोगों से बात कर बाद में घोषित की जायेगीं.