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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

त्रैवार्षिक त्रयोदश राष्ट्रीय अधिवेशन

दीपप्रज्वलन कर उदघाटन करते .प्र. के संस्कृति-मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, श्री एन.सुन्दरम
तथा प्रो.रामेश्वर मिश्र पंकज

श्री लक्ष्मीकांत शर्मा,
श्री एन.सुन्दरम
प्रो.रामेश्वर मिश्र पंकज
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का त्रयोदश अधिवेशन गुजरात के भुज नगर में - फरवरी २०११ को संपन्न हुआ अधिवेशन का स्थल शिव बालाकश्राम नगर के शोरगुल से दूर विस्तीर्ण क्षेत्र में फैला हुआथाअधिवेशन का विधिवत उदघाटन मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा तथा तमिल के उद्भट विद्वान् श्री एन.सुन्दरम के द्वारा किया गया महामंत्री श्री रामनारायण त्रिपाठी ने परिषद् के गत तीन वर्षों का लेखाजोखा तथा कार्य की प्रगति का इतिवृत्त प्रस्तुत कियावहीँ अधिवेशन के केंद्रीय विषय "भारतीय साहित्य में आस्था तत्त्वका विषद विवेचन वाराणसी के प्रकांड पंडित प्रो.रामेश्वर मिश्र पंकज ने कर शेष सत्रों में चर्चा का मार्ग प्रशस्त किया चार सत्रों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर गंभीर एवं सारगर्भित चिंतन हुआ

अधिवेशन का समापन नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. बलवंत जानी के प्रेरक उदबोधन तथा नवनियुक्त संगठन मंत्री श्री श्रीधर पराड़कर के संगठनात्मक दिशानिर्देश के साथ हुआ। इस अवसर पर कच्छी भाषा एकादमी के अध्यक्ष तथा गुजरात सरकार के मंत्री श्री विशेष रूप से उपस्थित थे.
अधिवेशन में प्रतिनिधियों की उपस्थिति उत्साहवर्धक थी - १७ प्रान्तों के ८६ स्थानों से २३० प्रतिनिधि. प्रतिनिधियों की प्रान्तवार उपस्थिति इस प्रकार रही : मध्यप्रदेश ७ स्थानों से १८ प्रतिनिधि, महाराष्ट्र ४ से ११, बिहार ७ से १२, दिल्ली १ से २८, हरियाणा ४ से ११, राजस्थान १३ से २८, उत्तरप्रदेश १४ से २६, उड़ीसा १ से १, उत्तराखंड १ से २, छत्तीसगढ़ ५ से ८, अरुणाचल ३ से ५, असम३ से १७, आँध्रप्रदेश २ से ३, पंजाब १ से १, तमिलनाडु १ से १, १७ से ५६, हिमाचल के २ स्थानों से २ प्रतिनिधि।